Saturday, December 31, 2011

Happy New Year 2012 !


On the eve of New Year 2012...
My Pray and hearty wishes to Almighty CosmicMom to pour on my All Learned and Lovely_Friends: ALL HAPPINESS, PROSPERITY, PEACE, NAME FAME & SUCCESS WHOLE LIFE...
{vidhyavantam, yashashvantam, laxmivantam janam kuroo ..
roopam dehi, jayam dehi, yasho dehi dwisho jahi ...}

May this 2012 open the gates of prosperity, abundance, wealth, overall well being in your life. Cheers and lots of love... HAPPY NEW YEAR !

Om Tat Sat

Tuesday, December 27, 2011

श्री श्याम देव स्तुति /स्त्रोत्र


!! स्कन्दपुराणोक्त ऋषि वेदव्यास कृत बर्बरीक (श्यामदेव) स्तुति !!

                      
इस कलयुग में योगेश्वर भगवान् श्री कृष्ण से वर प्राप्त पूर्ण देव के रूप में महाबली भीमसेन-हिडिम्बा पौत्र, घटोत्कच-कामकटंककटा (मोरवी) पुत्र वीर बर्बरीक (जो अब श्री खाटू श्याम जी के नाम पूजित है) की आराधना परम कल्याणकारी है... पराक्रमी, परम दयालु, हारे के सहारे, वीर बर्बरीक जी की पावन मूल कथा श्री वेदव्यास जी द्वारा रचित "स्कन्दपुराण" में भी वर्णित है... ऋषि वेदव्यास जी ने स्कन्दपुराण में "माहेश्वर खंड के द्वितीय उपखंड कौमरिका खंड" के ६६ वें अध्याय के ११५वे श्लोक में वीर बर्बरीक जी की स्तुति एक ऐसे आलौकिक स्त्रोत्र से की है, जिसे पढ़ने एवं सुनने मात्र से ही समस्त भयो का नाश हो जाता है, एवं जिसके मनन से श्री श्यामदेव की करुण कृपा प्राप्त होती है...

ऋषि वेद व्यास जी ने स्कन्दपुराण में "माहेश्वर खंड के द्वितीय उपखंड कौमरिका खंड" के ६६ वें अध्याय के ११६वे श्लोक में इस आलौकिक स्त्रोत की महिमा इस प्रकार बतायी है...

अनेन य: सुहृदयं श्रावणेsभ्य्चर्य दर्शके! वैशाखे च त्रयोदशयां कृष्णपक्षे द्विजोत्मा: शतदीपै पुरिकाभि: संस्तवेत्तस्य तुष्यति !! स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६६.११६ !!

"जो भक्त कृष्णपक्ष की श्रवणनक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः फाल्गुन मास में आती है) के तेरहवे [१३वे] दिन अर्थात "फाल्गुन सुदी द्वादशी" के दिन तथा विशाखानक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः कार्तिक मास में आती है) के तेरहवे [१३वे] दिन अर्थात "कार्तिक सुदी द्वादशी" के दिन अनेक तपे हुए अँगारों से सिकी हुई पुरिकाओ के चूर्ण (घृत, शक्करयुक्त चूरमा) से इनका पूजन कर इस स्त्रोत्र से स्तुति करते है, उस पर ये संतुष्ट होकर मनोवांछित फल प्रदान करते है..."

!! स्कन्दपुराणोक्त श्री वेदव्यास कृत बर्बरीक(श्यामदेव) स्तुति !!

जय जय चतुरशितिकोटिपरिवार सुर्यवर्चाभिधान यक्षराज जय भूभारहरणप्रवृत लघुशाप प्राप्तनैऋतयोनिसम्भव जय कामकंटकटाकुक्षि राजहंस जय घटोत्कचानन्दवर्धन बर्बरीकाभिधान जय कृष्णोपदिष्ट श्रीगुप्तक्षेत्रदेवीसमाराधन प्राप्तातुलवीर्यं जय विजयसिद्धिदायक जय पिंगल रेपलेंद्र दुहद्रुहा नवकोटीश्वर पलाशिदावानल जय भुपालान्तराले नागकन्या परिहारक जय श्रीभीममानमर्दन जय सकलकौरवसेनावधमुहूर्तप्रवृत

 जय श्रीकृष्ण वरलब्धसर्ववरप्रदानसामर्थ्य जय जय कलिकालवन्दित नमो नमस्ते पाहि पाहिती !! स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६६.११५ !!


!! उपरोक्त स्त्रोत्र का हिंदी भावार्थ !!

"हे! चौरासी कोटि परिवार वाले सूर्यवर्चस नाम के धनाध्यक्ष भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! पृथ्वी के भार को हटाने में उत्साही, तथा थोड़े से शाप पाने के कारण राक्षस नाम की देवयोनि में जन्म लेने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! कामकटंककटा (मोरवी) माता की कोख के राजहंस भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! घटोत्कच पिता के आनंद बढ़ाने वाले बर्बरीक जी के नाम से सुप्रसिद्ध देव! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! श्री कृष्णजी के उपदेश से श्री गुप्तक्षेत्र में देवियों की आराधना से अतुलित बल पाने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! विजय विप्र को सिद्धि दिलाने वाले वीर! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! पिंगला- रेपलेंद्र- दुहद्रुहा तथा नौ कोटि मांसभक्षी पलासी राक्षसों के जंगलरूपी समूह को अग्नि की भांति भस्म करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! पृथ्वी और पाताल के बीच रास्ते में नाग कन्याओं का वरण प्रस्ताव ठुकराने वाले माहात्मन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! श्री भीमसेन के मान को मर्दन करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! कौरवों की सेना को दो घड़ी ( ४८ मिनट) में नाश कर देने वाले उत्साही महावीर! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! श्री कृष्ण भगवान के वरदान के द्वारा सब कामनाओं के पूर्ण करने का सामर्थ्य पाने वाले वीरवर! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! कलिकाल में सर्वत्र पूजित देव! आपको बारम्बार नमस्कार हैं, नमस्कार है, नमस्कार है..."

"हमारी रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये"

!! लखदातर की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! तीन बाण धारी की जय !!
!! म्हारा श्यामधणी की जय !!
!! मोरवीनंदन बाबा श्याम की जय !!

!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!

!! स्कन्दपुराणोक्त श्री वेदव्यास कृत बर्बरीक(श्यामदेव) स्तुति !!



OM TAT SAT !

Wednesday, December 14, 2011

SHREE RAM CHALISA श्री राम चालीसा

SHREE RAM CHALISA
श्री राम चालीसा

 
       
 

श्री रघुवीर भक्त हितकारी. सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी.
निशि दिन ध्यान ध्यान धरै जो कोई. ता सम भक्त और नहिं होई.
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं. ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं.
जय जय जय रघुनाथ कृपाला. सदा करो सन्तन प्रतिपाला.
दूत तुम्हार वीर हनुमाना. जासु प्राभाव तिहूँ पुर जाना.
तव भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला. रावण मारि सुरन प्रतिपाला.
तुम अनाथ के नाथ गोसाई. दीनन के हो सदा सहाई.
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं. सदा ईश तुम्हरो यश गावैं.
चारिउ वेद भरत हैं साखी. तुम भक्तन की लाज राखी.
गुण गावत शारद मन माहीं. सुरपति ताको पार न पाहीं.
नाम तुम्हार लेत जो कोई. ता सम धन्य और नहिं होई.
राम नाम है अपरम्पारा. चारिहु वेदन जाहि पुकारा.
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों. तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हौ.
शेष रटत नित नाम तुम्हारा. महि को भार शीश पर धारा.
फ़ूल समान रहत सो भारा. पाव न कोउ तुम्हारो पारा.
भरत नाम जो तुम्हरो उर धारो. तासों कबहु न रण में हारो.
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा. सुमिरत होत शत्रु कर नाशा.
लक्ष्मन तुम्हारे आज्ञाकारी. सदा करत सन्तन रखवारी.
ताते रण जीते नहीं कोई. युद्ध जुरे यहहूं किन होई.
महालक्ष्मी घर अवतारा. सब विधि करत पाप को छारा.
सीता नाम पुनीता गायो. भुवनेश्वरी प्रभाव दिखयो.
घट सों प्रकट भई सो आई. जाको देखत चन्द्र लजाई.
सो तुम्हरे नित पाँव पलोटत. नवों निद्धि चरणन में लोटत.
सिद्धि अठारह मंगलकारी. सो तुम पर जावै बलिहारी.
औरहु जो अनेक प्रभुताई. सो सीतापति तुमहिं बनाई.
इच्छा ते कोटिन संसारा. रचत न लागत पल की वारा.
जो तुम्हारे चरणन चित्त लावै. ताको मुक्ति अवसि हो जावै.
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा. निर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा.
सत्य सत्य सत्यव्रत स्वामी. सत्य सनातन अन्तर्यामी.
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै. सो निश्चय चारों फ़ल पावै.
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं. तुमने भक्तिहिं सब सिद्धि दीन्हीं.
सुनहु रामतुम तात हमारे. तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे.
तुमहिं देव कुल देव हमारे. तुम गुरु देव प्राण प्यारे
जो कुछ हो सो तुम ही राजा. जय जय जय प्रभु राखो लाजा
राम आत्मा पोषण हारे. जय जय जय दशरथ के दुलारे
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा. नमो नमो जय जय जगपति भूपा
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा. नाम तुम्हार हरत संतापा
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया. बजी दुन्दुभी शंख बजाया
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन. तुमही हो हमारे तन मन धन
याको पाठ करे जो कोई. ज्ञान प्रकट ताके उर होई
आवागमन मिटै तिहि केरा. सत्य वचन माने शिव मेरा
और आस मन में जो होई. मनवांछित फ़ल पावे सोई
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावैं. तुलसी दल अरु फ़ूल चढ़ावै
साग पत्र सो भोग लगावैं. सो नर सकल सिद्धाता पावैं
अन्त समय रघुवर पुर जाई. जहां जन्म हरि भक्त कहाई
श्री हरिदास कहै अरु गावै. सो बैकुण्ठ धाम को जावै

JAI SHRI SITARAM.JAI SHRI HANUMANJI.


Om Tat Sat

Saturday, December 10, 2011

Lunar Eclipse Dec 10 th Dec 2011

Astrologically an Eclipse signify-: an event resulting in great loss,grief and misfortune's....

Since Yesterday, i am feeling uneasy, discomfot, state of being tense, feeling uncomfortable mental painfulness or distress, perhaps due to the eclipse influence... here i m jus sharing my views n thoughts regarding today's 10th dec,2011, eclipse...

The powerful n magnetic effect of eclipse is more greater w.r.t longivity of the timing of the eclipse....the longer the eclipse the longer teh effect shows wrath,anger n manifest in intense emotional anger towards us humans, from the mother nature in shape/form of elements , tatva's Earth, (earthquakes,drought/femine/volcanoes, fire mines- erruptions), Air(High winds,hurricanes), Fire(Explosions,fire accidents,bombs,) Water(Floods,tsunami's,),shows an anger of Nature n hence badly effects all of living beings ...

The eclipse signify a natural and unavoidable catastrophe (floods,eartquakes,acciidents involving mass destruction like airplane/trains accidents, mines-blasts, storms,heat n cold waves accidents, nuclear accidents, droughts & temple, pilgrimage- stampedes, animals, chemical,liquids,Milks factories,plants, all will be severly affected events in upcoming 3 months ....

National/international Countries Govt. policies will be catalyst to a disaster for results in disastrous consequences in upcomming 3 months.

Mrigashira Represents- (Agritculture,Animals,deer's elephants, Soma, moon,garden,forests, Trees.n plants,seeker,,hunter,traveller,collector,investigator,reserchers & communicators).

All those countries,states,cities,ruled mainly by(Scorpio,Taurus,Gemini,Leo,Aries,Saggi,cancer,&Libra, (Mrigrisha ruled places)will be majorly effect by upcoming irremediable calamity....

Scorpio natural 8th house lord Mars is aspecting Sun+Rahu+ Mercury(Rx).....

Troublesome time for Rulers/Kings/Sultan's/Royal/Politicians ,Political Powerful PPL, MP's ,Mla's ,big Corporates Top Positions MD's ,Chairmen's,Direcor's,Trustees,Stocks Markets Fluctuations,Big fires
forseen sudden changes in Political Sceneiro, Cabinet re-shuffles,
Many Top ppl resigns n Transfers, surrenders,despair, abdication of top Bureaucrats, top Officials , in MNC'S - Changes/transfers of Project Managers,HOD's etc...due to fall in economy/policies of Govt. ,.....

disturbances in western countries europe, usa n pakistan, afgan to middleeast.
poland,persia,ireland,asia,georgia,russia,holland,greek island,cyprus,dublin,mantuna,lepzig,st.louis,n rhodes, florida, coastal areas of USA.

Japan,Taiwan,Bangkok,neighboring South Asia countries, South Korea, hongkong,spore,malaysia,China, algeria,norway,poland,Germany,Bavaria,judea,catalonia,Morrocco,congo,north Syria, egypt, damascus, tel-aviv,israel,,catalonia,frankfurt,new orleans,washignton,liverpool, denver,new foundland, Uk, USA, Carribean, South Canada, Russia,, scandevian Nations,latin America,n parts of MidleEast....

Many Political Drama's (fall n rise of new Govt.'s,party, leaders) in which the protagonist(chaploose of Govt. Leaders n political families)will be overcome by some superior force or circumstance; excites terror or pity in one way or teh other in 3 months time...

forseen Nature's warning in form of Natural Disaster's like Femine,Tsunami's,floods,eartquakes, volcano erruptions, fires, air-crashes, blasts,terrorism,warlike situations mass destruction of ppl n property .....especialy in west of India n also western n central part of india .some disaster is abt to come in my opinion....
in India most vulnerable places- West of India Countries n in India ,(Mahashtra,Gujurat,Rajhasthan, Kerla, TamilNadu, Garwal,South,Central India UP, MP, Kerla,Pondichery,Lakshwdeep,Andaman n Nicobar Island, Coastal Areas of India...., Cities- ayodya,alahabad,hardwar,gaaya,punjab,surat,baroda,nagpur,pune,mumbai, cuttack,Arunachal, Mizoram,uttranchal,n Garhwal....

Very tough time for current Govt of India. especially home-affairs,defence-affairs,Foreign Affairs ministry's, public health, leaderships, powr,cabinet affairs ,wars,Army.Navy situations,neighboring difficulities, foreign trade treaties, international disputes,Defence Ministry all needs to be on their toes, high alerts....(in shorth for current govt. Tata's(Bye Bye!) n Bata's(shoes) is very much approaching...

all those who have Moon/Sun.Rahu/Mercury/Saturn/Ketu in Mrigrisha n running Mahadasha/bhukti of Sun/Moon/Rahu/Mercury/Mars combo's allneeds to be very attentive n careful n should analyse n observe deepr b4 making final decisions pertaining to imp.matters of life...

all persons who have Natal Scorpio/Taurus/Gemini/Libra/Leo/Aries should not take any impuslsive decisions ..needs to be calm n focuses even more for this period till next 3-months especially...
in short soon the unnecessary and unforeseen trouble resulting from an unfortunate event is about the happn in my opinion due to today's Eclipse... !

Its high time we shall awake on rebuilding our personal strengths, remaining connected with the divine, else we all will be forced to create a connection, or be crushed under the dust/junk/debris/after remain of disaster.....

In short as an astrologers we shall inform/warn/guide the respective disaster management agencies of our respective countries to be on high alret n be prepare in advance for sme mishaps....in my opinion... 
Thanks & Regards
Rahul Saraswat
http://www.enlightenthroughstars.com/

Friday, November 4, 2011

Amla Navmi ‎ !!आंवला नवमी!!


!!आंवला नवमी!!

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षयनवमी व आंवला नवमी कहते हैं। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नदान करने से हर मनोकामना पूरी होती है।अक्षयनवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास भी माना जाता है।




व्रत विधान

प्रात:काल स्नान कर दाहिने हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि लेकर निम्न प्रकार से व्रत का संकल्प करें-

अद्येत्यादि अमुकगोत्रोमुक (गोत्र का उच्चारण करें) ममाखिलपापक्षयपूर्वकधर्मार्थकाममोक्षसिद्धिद्वारा श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं धात्रीमूले विष्णुपूजनं धात्रीपूजनं च करिष्ये।

ऐसा संकल्प कर आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके ऊँ धात्र्यै नम: मंत्र से आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करके निम्नलिखित मंत्रों से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें-

पिता पितामहाश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिण:।

ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।।

आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवा:।

ते पिवन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।।

इसके बाद आंवले के वृक्ष के तने में निम्न मंत्र से सूत्रवेष्टन करें-

दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:।

सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तु ते।।

इसके बाद कर्पूर या घृतपूर्व दीप से आंवले के वृक्ष की आरती करें तथा निम्न मंत्र से उसकी प्रदक्षिणा करें -

यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।

तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।

इसके अनन्तर आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण- भोजन भी कराना चाहिए और अन्त में स्वयं भी आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करना चाहिए। एक पका हुआ कुम्हड़ा (कद्दू) लेकर उसके अंदर रत्न, सुवर्ण, रजत या रुपया आदि रखकर निम्न संकल्प करें-

ममाखिलपापक्षयपूर्वक सुख सौभाग्यादीनामुक्तरोत्तराभिवृद्धये कूष्माण्डदानमहं करिष्ये।

तदनन्तर विद्वान तथा सदाचारी ब्राह्मण को तिलक करके दक्षिणासहित कुम्हड़ा दे दें और निम्न प्रार्थना करें-

कूष्णाण्डं बहुबीजाढयं ब्रह्णा निर्मितं पुरा।

दास्यामि विष्णवे तुभ्यं पितृणां तारणाय च।।

पितरों के शीतनिवारण के लिए यथाशक्ति कंबल आदि ऊर्णवस्त्र भी सत्पात्र ब्राह्मण को देना चाहिए।


घर में आंवले का वृक्ष न हो तो किसी बगीचे आदि में आंवले के वृक्ष के समीप जाकर पूजा, दानादि करने की भी परंपरा है अथवा गमले में आंवले का पौधा रोपित कर घर में यह कार्य सम्पन्न कर लेना चाहिए।
!!आंवला नवमी!! कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षयनवमी व आंवला नवमी कहते हैं। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नदान करने से हर मनोकामना पूरी होती है।अक्षयनवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास भी माना जाता है। व्रत विधान प्रात:काल स्नान कर दाहिने हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि लेकर निम्न प्रकार से व्रत का संकल्प करें- अद्येत्यादि अमुकगोत्रोमुक (गोत्र का उच्चारण करें) ममाखिलपापक्षयपूर्वकधर्मार्थकाममोक्षसिद्धिद्वारा श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं धात्रीमूले विष्णुपूजनं धात्रीपूजनं च करिष्ये। ऐसा संकल्प कर आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके ऊँ धात्र्यै नम: मंत्र से आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करके निम्नलिखित मंत्रों से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें- पिता पितामहाश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिण:। ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।। आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवा:। ते पिवन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेक्षयं पय:।। इसके बाद आंवले के वृक्ष के तने में निम्न मंत्र से सूत्रवेष्टन करें- दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:। सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तु ते।। इसके बाद कर्पूर या घृतपूर्व दीप से आंवले के वृक्ष की आरती करें तथा निम्न मंत्र से उसकी प्रदक्षिणा करें - यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।। इसके अनन्तर आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण- भोजन भी कराना चाहिए और अन्त में स्वयं भी आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करना चाहिए। एक पका हुआ कुम्हड़ा (कद्दू) लेकर उसके अंदर रत्न, सुवर्ण, रजत या रुपया आदि रखकर निम्न संकल्प करें- ममाखिलपापक्षयपूर्वक सुख सौभाग्यादीनामुक्तरोत्तराभिवृद्धये कूष्माण्डदानमहं करिष्ये। तदनन्तर विद्वान तथा सदाचारी ब्राह्मण को तिलक करके दक्षिणासहित कुम्हड़ा दे दें और निम्न प्रार्थना करें- कूष्णाण्डं बहुबीजाढयं ब्रह्णा निर्मितं पुरा। दास्यामि विष्णवे तुभ्यं पितृणां तारणाय च।। पितरों के शीतनिवारण के लिए यथाशक्ति कंबल आदि ऊर्णवस्त्र भी सत्पात्र ब्राह्मण को देना चाहिए। घर में आंवले का वृक्ष न हो तो किसी बगीचे आदि में आंवले के वृक्ष के समीप जाकर पूजा, दानादि करने की भी परंपरा है अथवा गमले में आंवले का पौधा रोपित कर घर में यह कार्य सम्पन्न कर लेना चाहिए।