Tuesday, December 27, 2011

श्री श्याम देव स्तुति /स्त्रोत्र


!! स्कन्दपुराणोक्त ऋषि वेदव्यास कृत बर्बरीक (श्यामदेव) स्तुति !!

                      
इस कलयुग में योगेश्वर भगवान् श्री कृष्ण से वर प्राप्त पूर्ण देव के रूप में महाबली भीमसेन-हिडिम्बा पौत्र, घटोत्कच-कामकटंककटा (मोरवी) पुत्र वीर बर्बरीक (जो अब श्री खाटू श्याम जी के नाम पूजित है) की आराधना परम कल्याणकारी है... पराक्रमी, परम दयालु, हारे के सहारे, वीर बर्बरीक जी की पावन मूल कथा श्री वेदव्यास जी द्वारा रचित "स्कन्दपुराण" में भी वर्णित है... ऋषि वेदव्यास जी ने स्कन्दपुराण में "माहेश्वर खंड के द्वितीय उपखंड कौमरिका खंड" के ६६ वें अध्याय के ११५वे श्लोक में वीर बर्बरीक जी की स्तुति एक ऐसे आलौकिक स्त्रोत्र से की है, जिसे पढ़ने एवं सुनने मात्र से ही समस्त भयो का नाश हो जाता है, एवं जिसके मनन से श्री श्यामदेव की करुण कृपा प्राप्त होती है...

ऋषि वेद व्यास जी ने स्कन्दपुराण में "माहेश्वर खंड के द्वितीय उपखंड कौमरिका खंड" के ६६ वें अध्याय के ११६वे श्लोक में इस आलौकिक स्त्रोत की महिमा इस प्रकार बतायी है...

अनेन य: सुहृदयं श्रावणेsभ्य्चर्य दर्शके! वैशाखे च त्रयोदशयां कृष्णपक्षे द्विजोत्मा: शतदीपै पुरिकाभि: संस्तवेत्तस्य तुष्यति !! स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६६.११६ !!

"जो भक्त कृष्णपक्ष की श्रवणनक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः फाल्गुन मास में आती है) के तेरहवे [१३वे] दिन अर्थात "फाल्गुन सुदी द्वादशी" के दिन तथा विशाखानक्षत्र युक्त अमावस्या (जो प्रायः कार्तिक मास में आती है) के तेरहवे [१३वे] दिन अर्थात "कार्तिक सुदी द्वादशी" के दिन अनेक तपे हुए अँगारों से सिकी हुई पुरिकाओ के चूर्ण (घृत, शक्करयुक्त चूरमा) से इनका पूजन कर इस स्त्रोत्र से स्तुति करते है, उस पर ये संतुष्ट होकर मनोवांछित फल प्रदान करते है..."

!! स्कन्दपुराणोक्त श्री वेदव्यास कृत बर्बरीक(श्यामदेव) स्तुति !!

जय जय चतुरशितिकोटिपरिवार सुर्यवर्चाभिधान यक्षराज जय भूभारहरणप्रवृत लघुशाप प्राप्तनैऋतयोनिसम्भव जय कामकंटकटाकुक्षि राजहंस जय घटोत्कचानन्दवर्धन बर्बरीकाभिधान जय कृष्णोपदिष्ट श्रीगुप्तक्षेत्रदेवीसमाराधन प्राप्तातुलवीर्यं जय विजयसिद्धिदायक जय पिंगल रेपलेंद्र दुहद्रुहा नवकोटीश्वर पलाशिदावानल जय भुपालान्तराले नागकन्या परिहारक जय श्रीभीममानमर्दन जय सकलकौरवसेनावधमुहूर्तप्रवृत

 जय श्रीकृष्ण वरलब्धसर्ववरप्रदानसामर्थ्य जय जय कलिकालवन्दित नमो नमस्ते पाहि पाहिती !! स्कन्दपुराण, कौ. ख. ६६.११५ !!


!! उपरोक्त स्त्रोत्र का हिंदी भावार्थ !!

"हे! चौरासी कोटि परिवार वाले सूर्यवर्चस नाम के धनाध्यक्ष भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! पृथ्वी के भार को हटाने में उत्साही, तथा थोड़े से शाप पाने के कारण राक्षस नाम की देवयोनि में जन्म लेने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! कामकटंककटा (मोरवी) माता की कोख के राजहंस भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! घटोत्कच पिता के आनंद बढ़ाने वाले बर्बरीक जी के नाम से सुप्रसिद्ध देव! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! श्री कृष्णजी के उपदेश से श्री गुप्तक्षेत्र में देवियों की आराधना से अतुलित बल पाने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! विजय विप्र को सिद्धि दिलाने वाले वीर! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! पिंगला- रेपलेंद्र- दुहद्रुहा तथा नौ कोटि मांसभक्षी पलासी राक्षसों के जंगलरूपी समूह को अग्नि की भांति भस्म करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! पृथ्वी और पाताल के बीच रास्ते में नाग कन्याओं का वरण प्रस्ताव ठुकराने वाले माहात्मन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! श्री भीमसेन के मान को मर्दन करने वाले भगवन्! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! कौरवों की सेना को दो घड़ी ( ४८ मिनट) में नाश कर देने वाले उत्साही महावीर! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! श्री कृष्ण भगवान के वरदान के द्वारा सब कामनाओं के पूर्ण करने का सामर्थ्य पाने वाले वीरवर! आपकी जय हो, जय हो..."

"हे! कलिकाल में सर्वत्र पूजित देव! आपको बारम्बार नमस्कार हैं, नमस्कार है, नमस्कार है..."

"हमारी रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये"

!! लखदातर की जय !!
!! खाटू नरेश की जय !!
!! हारे के सहारे की जय !!
!! तीन बाण धारी की जय !!
!! म्हारा श्यामधणी की जय !!
!! मोरवीनंदन बाबा श्याम की जय !!

!! जय जय मोरवीनंदन, जय जय बाबा श्याम !!
!! काम अधुरो पुरो करज्यो, सब भक्तां को श्याम !!
!! जय जय लखदातारी, जय जय श्याम बिहारी !!
!! जय कलयुग भवभय हारी, जय भक्तन हितकारी !!

!! स्कन्दपुराणोक्त श्री वेदव्यास कृत बर्बरीक(श्यामदेव) स्तुति !!



OM TAT SAT !

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